क्या है यह कृत्रिम सूर्य।। आखिर यह चर्चा में क्यों है?

कृत्रिम सूर्य तथा उससे संबंधित जानकारियां


दोस्तों चीन आए दिन तकनीकी के मामले में नए मुकाम हासिल कर रहा है। तकनीकी के मामले में उसने अमेरिका रूस और जापान जैसे विकसित देशों को भी पीछे कर दिया है। अभी हाल ही में उसने नकली सूर्य बनाने का दावा किया है। ऐसा यह परमाणु fusion द्वारा होता है जो असली सूर्य से कहीं ज्यादा ऊर्जा देता है। और इस परमाणु रिएक्टर के द्वारा हमें स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त होने की उम्मीद है जो कि प्रदूषण मुक्त होगी।
वैसे तो धरती पर जिंदगी के लिए हवा जल प्रकाश का होना बहुत जरूरी है। आए दिन चीन तकनीकी के मामले में कई रोचक और मजेदार खोज करता रहता है। जो बाकी विकसित देश अमेरिका रूस और जापान नहीं कर पा रहे हैं।

प्राकृतिक सूर्य से 10 गुना ज्यादा तापमान है इसका



 प्रांत में स्थित इस रिएक्टर को सामान्यत:  "कृत्रिम सूर्य" के नाम से जाना जाता है जो अत्यधिक गर्मी एवं ऊर्जा उत्पन्न करता है।
 चीन की मीडिया की माने तो उसके द्वारा तैयार किया गया सूर्य असली सूर्य से 10 गुना ज्यादा तापमान वाला होगा। चीन द्वारा बनाए गए कृतिम सूर्य का तापमान 10 सेकंड में 16 करोड़ डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया था। इस रिसर्च की खास बात यह रही कि इसका यह तापमान 100 सेकंड तक कायम रहा।

अगला  लक्ष्य तापमान को स्थिर बनाये रखना


 शेनजेन में स्थित विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रवक्ता और निदेशक ली मियाओं का  मानना है कि 16 करोड डिग्री सेल्सियस के तापमान को 100 सेकंड तक बनाए रखना अपने आप में बहुत बड़ी सफलता है और हमें इस को स्थिर बनाए रखना है।इसको बनाये रखना अपने आप मे बड़ी उपलब्धि है।

इसमे इस्तेमाल हुई है नाभिकीय संलयन विधि


प्राकृतिक रूप से सूर्य में होने वाली परमाणु संलयन प्रक्रिया की प्रतिकृति के लिये  इसमें HL-2M टोकामक यंत्र का उपयोग किया गया है। चीन का एक राज्य जिसका नाम अनुहई है। यहां पर एक रिएक्टर में कृत्रिम सूर्य को बनाया गया है इसमें इन्होंने न्यूक्लियर फ्यूजन का इस्तेमाल किया है सामान्यतः इस विधि से हाइड्रोजन बम बनाया जाता है होता क्या है कि इसमें गर्म प्लाज्मा को यूज करके स्ट्रांग मैग्नेटिक फील्ड उत्पादित किया जाता है और इसमें बहुत अधिक मात्रा में गर्मी तथा तापमान उत्पादित होता है।

नाभिकीय संलयन पर फ्रांस में भी हो रहा है काम


आपको जानकारी के लिए बता दें कि फ्रांस में भी न्यूक्लियर फ्यूजन पर काम चल रहा है और फ्रांस का यह प्रोजेक्ट 2025 में पूरी होगी इसके अलावा कोरिया भी KSTR के जरिए अप्राकृतिक सूर्य बनाने का मुकाम हासिल किया है। जिन्होंने जिसमें 20 सेकंड के लिए 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान स्थिर किया गया था इनका यह काम काफी सराहनीय है।

परमाणु रिएक्टर क्या होते हैं


न्यूक्लीय रिऐक्टर एक विशेष प्रकार की भट्टी है, जिसमें यूरेनियम-235 या अन्य विखण्डनीय
नाभिक का नियन्त्रित (controlled) नाभिकीय विखण्डन कराया जाता है और विखण्डन से निर्मुक्त ऊर्जा
नियन्त्रण में रखी जाती है। इस ऊर्जा का उपयोग जनहित में किया जा सकता है। प्रथम रिऐक्टर सन्
1942 में अमेरिका में बनाया गया था किन्तु आज लगभग सभी बड़े देशों ने रिऐक्टर बना लिए हैं। हमारे
देश में प्रथम शोध-रिऐक्टर ट्रॉम्बे (Trombay) में बनाया गया जो 4 अगस्त 1956 से प्रचालन में है। इस
समय हमारे देश में 26 रिऐक्टर प्रचालन में हैं, जिनमें से 9 शोध-रिऐक्टर और 17 शक्ति-उत्पादक
रिऐक्टर हैं। शक्ति-उत्पादक रिऐक्टर रावतभाटा (राजस्थान), तारापुर (महाराष्ट्र), नरौरा (उत्तर प्रदेश),
कलपक्कम (तमिलनाडू), काकरापार (गुजरात) और कैगा (कर्नाटक) में हैं। शोध-रिऐक्टर, अप्सरा
(APSARA), साइरस (CIRUS), जरलीना (ZARLINA), ध्रुव (DHRUVA) और पूर्णिमा-I, पूर्णिमा-
॥ और पूर्णिमा-III भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र, ट्रॉम्बे, मुम्बई में हैं। एक शोध-रिऐक्टर, कामिनी
(KAMINI), इन्दिरा गाँधी परमाणु अनुसन्धान केन्द्र, कलपक्कम (तमिलनाडू) में है।
विभिन डिजाइनों (desiens) के बनाए गए
हैं।


2 Comments

  1. रोचक जानकारी दी आपने।
    बहुत बढ़िया।

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    1. धन्यवाद अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर करें

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